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जलपुरुष राजेन्द्र सिंह, खोज यात्रा

27 अगस्त 2023 से भौतिक वैज्ञानिकों व पर्यावरणविदों का जुड़ाव आरंभ हुआ। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी द्वारा यह प्रक्रिया आरंभ करके, उर्लिका, स्वीडन से फिनलैंड के लिए रवाना हुए। उससे पहले स्टॉकहोम, स्वीडन में भारत के राष्ट्रदूत राकेश तिवारी, केसरी मिश्रा, सत्यनारायण बुलिसेटी, नागेंद्र आदि सभी ने जलपुरुष जी के सम्मान में भोज रखा। यहां देर रात बैठक भी चली। इस दौरान बहुत लोगों ने जलपुरुष जी से सवाल पूछे। नगेंद्र ने कहा कि, यह काम हम यहां स्वीडन में कैसे कर सकते हैं? आपने जैसा राजस्थान में किया, वैसा हम आंध्र प्रदेश में और तेलंगाना में कैसे कर सकते हैं?जलपुरुष जी ने कहा कि, सबसे पहले प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा का काम करने के लिए लोगों प्रेरित और तैयार करना होगा।
जलपुरुष ने कहा कि, पूरी दुनिया में जहां भी हम जाते हैं,वहां भारतीयों की खास पहचान है। वह पूरी दुनिया की धरती को अपनी मां मानते हैं। दुनिया में जहां भी जाते हैं, वहां उस मिट्टी को प्यार और सम्मान करते हैं । वहां के पानी को अपना प्राण मानते हैं। भारत की यह संस्कृति और सामाजिक काम की ऊंचाई है। इसलिए पूरी दुनिया में आज भी जब दुनिया उजड़ रही है, यह जलवायु परिवर्तन, बेमौसम बारिश बाढ़ और सुखाड़ से जूझ रही है। दुनिया में जलवायु परिवर्तन शरणार्थी बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन हम सभी इस प्रकृति के एक अंग है। हमारे अंदर प्रकृति ने विचार करने की शक्ति दी है, वह दुनिया में प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन में ही लगनी चाहिए। हम अपनी शक्ति, समझ, श्रद्धा को कहीं और ना लगाएं। वह इस काम में लगेगी तो दुनिया में प्यार, विश्वास बढ़ेगा। इसलिए हम पूरी दुनिया की नफरत को प्यार की दुनिया में बदलने वाले भारतीय लोग हैं।
यह खोज यात्रा के बाद पहली बैठक थी, जिसमें जलपुरुष जी ने खोज यात्रा के प्रत्यक्ष अनुभवों को साझा किया।
स्टॉकहोम, स्वीडन में भारत के राष्ट्रदूत राकेश तिवारी ने कहा कि, हम भारतीय पूरी दुनिया में विशिष्ट है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि,हम सभी को अपना मानते है।
स्टॉकहोम में आयोजित रात्रि भोज में नगेंद्र, मंजू जी ने भारतीय भोजन बनाया गया। इस भोज में इटली,स्पेन,भारत, स्वीडन और अन्य देशों के लोग भी शामिल हुए थे।
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